
शारदीय नवरात्र का आज सातवां दिन है। आज के दिन अष्टमी तिथि है। तीसरे दिन दो तिथि होने के कारण आज देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाएगी। श्वेत वर्ण वाली मां महागौरी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। मां का स्वरूप बहुत ही शांत है। आइए जानते हैं मां की पूजा, कथा और महत्व के बारे में….
मां महागौरी– नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है। देवी का यह रूप सबसे सुंदर और मनोहारी है। सच्चे मन से की गई पूजा से प्रसन्न होकर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मां महागौरी की चार भुजाएं हैं। दो भुजाओं में मां त्रिशूल और डमरू लिए हैं, वहीं अन्य दो भुजा अभय और वर मुद्रा में हैं। मां वृषभ पर विराजमान हैं। मां की पूजा करने से राहू का बुरा प्रभाव कम हो जाता है। मां शांति और धीरज का प्रतीक है। मां भक्तों को अभय और सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। मां महागौरी सुख-समृद्धि और आरोग्यता प्रदान करने वाली हैं। आज के दिन कन्याओं को भोजन कराने की मान्यता है। अष्टमी तिथि को संधी पूजा भी की जाती है।
मां महागौरी की कथा
मां महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे मां का वर्ण काला पड़ गया था। मां की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार्य कर लिया था। शिव जी ने मां को गंगा से स्नान कराया। इससे देवी का शरीर अत्यंत कांतिवान और गौर वर्ण का हो गया। इस कारण मां का नाम महागौरी पड़ा। मां का यह स्वरूप बहुत ही शांत है।
मां का आराधना मंत्र
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।