धर्म

संतान प्राप्ति के लिए करें मां स्कंदमाता की पूजा

मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरुपों की पूजा नवरात्री के इस मंगल पर्व पर की जाती है। आज रविवार को अश्वनी मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। बीते दिन में दो तिथि होने के कारण आज चौथे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। मां स्कंदमाता की पूजा से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, मां की पूजा, महिमा और आराधना मंत्र के बारे में…

मां स्कंदमाता : अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। कुमार कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। सिंह पर सवार माता चार भुजाधारी हैं। माता की गोद में छह मुख वाले कुमार कार्तिकेय विराजमान हैं। मां के हाथों में पुष्प सुशोभित हैं। मां प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं। ऐसी मान्यता है कि मां की सच्चे मन से पूजा करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। मां कमल के पुष्प पर विराजती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहते हैं। माता को पीली और लाल वस्तुएं बहुत प्रिय है। मां को आप केले और केसर की खीर का भोग लगा सकते हैं। इस दिन जरूरतमंद को खाना अवश्य खिलाएं। इससे आपमें सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होगा।

माता की पूजा का महत्व

नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा की के पांचव् स्वरूप स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके चारों ओर सूर्य के समान अलौकिक तेज व्याप्त है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में रहता है। इनका यह स्वरुप मोक्ष प्रदाता और परम सुखदायी है। माता की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। माता कके पूजन के साथ कुमार कार्तिकेय के बालस्वरुप को भी पूजा जाता है। संतान प्राप्ति के लिए भी स्कंदमाता की पूजा शुभ फलदायक मानी गई है।

मां स्कंदमाता का आराधना मंत्र-

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।